नारी शक्ति को प्रणाम
हे नारी तुम कविता हो।
अविकल बहती सरिता हो।।
तुम करुणा की सागर हो।
अक्षय अमृत की गागर हो।।
हे नारी तुम प्रेमस्वरुपा हो।
इस भूतल पर ब्रह्मस्वरुपा हो।।
तुम ममतामयी माता हो।
मनुज की भाग्य विधाता हो।।
तुम ही हो हृदय का स्पन्दन ।
तुमसे ही जग सारा रौशन।।
तुम ही कर सकती हो भवतारण।
तुम से ही इस जग का सृजन।।
हे नारी तुम त्याग की प्रतिमूर्ति ।
तुम ही तो हो माताशक्ति।।