नारी शक्ति
सहमा सहमा है चमन, डरा हुआ हर फूल।
खूनी पंजा हर जगह, लिए हाथ में शूल।।
सभी शक्तियों की रही, नारी ही अवतार।
पर सदियों से सह रही, कितना अत्याचार।।
नारी चिन्गारी बनो ,बनो नहीं लाचार। ।
हर युग हर क्षण का रही, सिर्फ तुम्हीं आधार।।
सबल बनो हर नरियाँ,खोलो शिक्षा द्वार।
दुष्ट भेडियो के लिए, रखना हाथ कटार।।
लेना होगा हाथ में,ये अपना कानून।
अस्मत से जो खेलता, कर दो उसका खून।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली