नारी विज्ञान
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
हर कोई बात करता है दर्द की शायरी के रास्ते ।
माना कि इसने उसने झेला होगा दर्द किसी के वास्ते ।
इश्क मोहब्बत होना होता ये इंसानी रीत है ।
कोई सफल कोई असफल ये भी जानी पहचानी प्रीत है ।
साल सोहलवाँ जिसको चढ़ गया उसको तो ये होना है ।
उमर है कच्ची ज्ञान है कच्चा इसी बात का रोना है ।
पकी उमर में संभल संभल के कदम सभी जब रखते हैं ।
धक्के झटके झेल झेल के वो सब पक्के बनते हैं ।
होशियारी से देखभाल के फिर वो दिल का कमल खिलाते हैं ।
खुद कम रोते धोखा न खाते कसम देने से कतराते हैं ।
ऐसा आशिक ऐसी माशूक समझदार कहलाते हैं ।
दुनिया दारी साथ निभाते मंजिल से मिल जाते हैं ।
हर कोई बात करता है दर्द की शायरी के रास्ते ।
माना कि इसने उसने झेला होगा दर्द किसी के वास्ते ।
इश्क मोहब्बत होना होता ये इंसानी रीत है ।
कोई सफल कोई असफल ये भी जानी पहचानी प्रीत है ।
एक अबोध बालक को क्या समझाना ये तो बालक नेक है ।
खेर मनाता देखो सबकी , इसकी यही तो बात विशेष है ।