नारी पर दोहे
हमको करना चाहिए, नारी का सम्मान
करे सृष्टि का ये सृजन, माँ का रूप महान
भूतों का डेरा लगे, नारी बिन घर द्वार
नारी से जगमग रहे, रिश्तों का संसार
नारी को वो सब मिले,जिसकी वो हकदार
कब तक वो ढोती रहे, कर्तव्यों का भार
मना रहे महिला दिवस, करते खूब प्रचार
केवल कहने से नहीं, नारी का उद्धार
नारी सत्ता को नहीं, कर पाते स्वीकार
बातें तो करते बड़ी ,पर छोटा व्यवहार
कहने भर को हैं बने,नारी के अधिकार
लेकिन सभ्य समाज ने ,नहीं कियेस्वीकार
कुण्डलिया
नारी को वो सब मिले,जिसकी वो हकदार
कब तक यूँ ढोती रहे, कर्तव्यों का भार
कर्तव्यों का भार , मारकर मन को अपने
आँखों में ही चूर , करे वो अपने सपने
कहे ‘अर्चना’ बात , सभी पर पड़ती भारी
घर से बाहर पाँव , निकाले जब भी नारी
6-3-2022
डॉ अर्चना गुप्ता