नारी ने परचम लहराया
-नारी ने परचम लहराया
जी हां,हताश नहीं है नारी अब है अपनी बारी
नारी शक्ति को पहचानी, नही किसी से हारी नारी ।
जो ललकारें उसे डटकर किया सामना ना बनें बेचारी
पढ़ लिख कर सझम बनें,हारकर नहीं भरी सिसकारी।
स्वाभिमान की ख़ातिर नारी, शोषण अपना नहीं सहेगी
माना मर्यादा शृंगारित है वो,नहीं तेरी कोइ लाचारी रहेगी।
सपने सच करने की ख़ातिर,आज पुरुष के साथ है चलती
सबला सझम है,कोई भी कार्य को ना मुश्किल समझती ।
तोड़ बेडिया रूढ़िवादी की आगे बढ़ रही आधुनिक नारी
चेहरे पर डर नहीं,ना आंखों में खौफ,बदली उनके जिंदगानी।
गर हौसलें बुलंद रहे,हर क्षेत्र में सफलतापूर्वक चलती जाती,
ज्ञान लौ से खुद को चमका देश की आन बान शान बढ़ाती।
पानी में गोता लगाया, और ऊंचाइयों पर भी परचम लहराया,
नारी सशक्तिकरण हुआ जब से हर क्षेत्र में नारी ने स्थान पाया।
अब बदली खुद, बदला जमाना ,नर-नारी में भेदभाव मिटाया
मर्यादा में भी रहकर नारी ने नर से कन्धा मिलाकर नाम कमाया।
– सीमा गुप्ता अलवर, राजस्थान