नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
नर का हर यज्ञ पूर्ण करती, वह उसकी मां है,धात्री है
नारी निन्दा करने वाले, नर नहीं, बृषभ हैं, मर्कट हैं
जो कवि करते नारी निन्दा, वे कूड़ा हैं, वे कर्कट हैं ।
— महेशचन्द्र त्रिपाठी