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8 Mar 2023 · 1 min read

*नारी जितनी सादी उतनी सीधी है*

नारी जितनी सादी उतनी सीधी है
****************************

जग मे कुदरत की कैसी ये रीति है,
कतरा – कतरा औरत विष पीती है।

नारी जितनी सादी उतनी सीधी है,
रहती खोई – खोई लगती भीति है।

औरों की जीने की परवाही में वो,
हद बेहद हर दम मरती कम जीती है।

भीगी-भीगी आँखों मे हर दम आँसू,
ज़ख्मों को बैठी बैठी रहती सीती है।

अपना बनकर कोई सुधबुद्ध लेता ना,
कोइ ना पूछे उन पर क्या बीती है।

नफ़रत की आँधी में उड़ती मनसीरत,
कोमल दिल मे उनके सारी प्रीती है।
*****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)

Language: Hindi
110 Views
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