कृष्ण होने का अर्थ
कृष्ण होना कठिन हैकृ
कृष्ण?
हाँ! कृष्ण!
वो,
जो पैदा हुआ था
अन्याय की छाया में
ज़ंजीरों के बीच
उसे दुनिया ईश्वर मानने लगी
क्योंकि
वह
जो सदा ही नज़र आया
अन्याय के विरोध में
बगावत का परचम लिए
धोखे और फरेब की पूतना जैसी
राक्षसीवृत्ति की
शक्ति खींच ली
एक ही साँस में
सोई हुई
कौम को
जगाने के लिए
अंधविश्वास के
इन्द्र की जगह
उसने पूजना सिखाया
श्रम और वास्तविकता के गोवर्धन को
विषाक्त हुई यमुना से
प्रदूषण के
कालिया नाग को भगाकर
नदी का जल
सुरक्षित करता ड्डष्ण
कुपोषण का शिकार होते
ग्वाल-बालों के
स्वस्थ्य के लिए
रोका था उसने वृजवासियों को
दूध-मक्खन बेचने से
और अधिकार लेना सिखाया
येन-केन प्रकारेण
फिर चाहे
चोरी ही करनी पड़ी
माखन की
अपने ही घर में
उसने सिखाया
मात्र ग्यारह वर्ष की आयु में
अत्याचारी शासन का
अंत करना
कोई तो बताओ
उसका कौन-सा काम
जन चेतना के विरुद्ध था?
क्या नाना और
माता-पिता को
कारागार से छुड़ाना?
क्या निरंतर युद्धों से
थकी कमज़ोर सेना को
विस्थापित कर
सुदृढ़ होने के लिए समय देना?
क्या भरी सभा में
लम्पट पुरुषों में घिरी
द्रौपदी की रक्षा करना?
क्या पाण्डवों को
उनका अधिकार दिलाना?
और अहंकार में डूबे
अपने ही बांधवों को
उनके अहंकार का परिणाम दिखाना?
कितना दर्द था उसके दिल में
अपने देश
और अपनी कौम के लिए
हाँ! वह संवेदन शून्य नहीं था
अति संवेदनशील था।
हाँ! वह भगवान था,
क्योंकि
मेरे गुरुजनों ने मुझे
भगवान का अर्थ
गुणवान होना बताया था।