#नारी की वेदना
#नमन मंच
#विषय नारी की वेदना
#रचनाकार राधेश्याम खटीक
#दिनांक ०२/१०/२०२४
#विद्या गीत
ना रो नारी तेरे आंसुओं की,
जमाने की नजरों में कीमत नहीं !
बहुत पी चुका है ममता का पानी,
इसकी नफरत बुझाता ही नहीं !
ना रो नारी…
कई बस्तियां उजाड़ीं है इसने,
कई नारियां बेंवा बनाई इसने !
यह बड़ा ही बेदर्द बेरहम,
इससे रहम की उम्मीद नहीं !
ना रो नारी….
कोठी में तेरे भरे कितने मोती,
फिर क्यों छिने मज़लूम की रोज़ी !
यह चाहे तो लौटा दे प्यार मेरा,
मगर इसमें इतनी गैरत नहीं !
नारे रो नारी…
सूख चुका तेरी आंखों का पानी,
मानवता को खबर क्यों नहीं !
बहुत कर चुका हस्ती मिटाने की
ज़ालिम यह तेरे बस का नहीं !
नारे रो नारी….
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान