Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2017 · 3 min read

नारी कब होगी अत्याचारों से मुक्त?

धीरे-धीरे जिस पाश्चात्य अपसंस्कृति का शिकार हमारा समाज होता जा रहा है, उसके दुष्परिणाम स्त्री जाति पर अत्याचारों की बढ़ोत्तरी के रूप में सर्वत्र दृष्टिगोचर हो रहे हैं। शहर ही नहीं गाँव-गाँव तक आज स्त्री जाति असुरक्षित और भयग्रस्त है। भय और असुरक्षा के कारण है- गली-गली बढ़ते कामासुर। कामासुरों को किसी और ने नहीं, पाश्चात्य-सभ्यता के पोषकों और जन-शोषकों ने पैदा किया है। पाश्चात्य सभ्यता के फैलाव में कोई और नहीं, हमारे राष्ट्र के वे नायक हैं, जो अपनी अकूत और काली कमायी के जरिए टी.वी. चैनल्स और अखबारों के मालिक बनकर समाज के सम्मुख सामाजिक-विघटन और सैक्स को परोस रहे हैं। सरकार के जनहित कार्यक्रमों में से एक प्रमुख कार्यक्रम बन गया है- शराब की दुकानें मोहल्ले-मोहल्ले खुलवाना। शराब में धुत, विचारहीन, भोगविलासी वर्ग क्या करेगा। वह हमारी बहिन-बेटियों को छेड़ेगा, सैक्स भरी फब्तियाँ कसेगा, बलात्कार करेगा।
संत रविदास, महात्मा फूले, स्वामी विवेकानंद, संत कबीर, गुरु नानक जैसे महापुरुषों के देश में आज हर एक मिनट बाद नारी बलात्कार, छेड़खानी या बलात्कार के बाद मौत का शिकार हो रही है और इस ज्वलंत समस्या पर देश की हर सरकार चैन की नींद सो रही है।
जनता के दुःखदर्दों में शरीक होने का ढोंग रचने वाले राजनेताओं में ऐसे अनेक नेताओं के अब चेहरे उजागर होने लगे हैं, जिनका हाथ चकलाघरों के साथ है। सैक्स रैकेट के संचालक ऐसे नेता नारी सशक्तिकरण की बात करते हुए किसी न किसी नारी का चीरहरण करने में लगे हैं।
कथित प्रगतिशीलता के इस दुष्चर्क में नारी सबला से अबला होती जा रही है। उसे अबला बनाने में पुरुष-सत्ता का बहुत बड़ा हाथ है। किन्तु इन सारी त्रासद स्थिति के लिये पुरुष समाज पर ही दोष मढ़ा जाना चाहिए? इस ज्वलंत सवाल को ‘भारत की महान वीरांगनाएँ’ नामक प्रस्तुक के लेखक आचार्य श्रीराम शर्मा की प्रकाशकीय में उठाया जाता है और इस सवाल का उत्तर कुछ इस प्रकार आता है-‘‘ नारी अपनी वर्तमान अधोगति के लिए बहुत कुछ स्वयं उत्तरदायी है। संसार की नारियों का इतिहास इस बात का प्रबल प्रमाण है कि मातृ शक्ति में अनंत शक्तियाँ निहित हैं। वह किसी बात में पुरुषों से कम नहीं है। वीरता, धीरता, शौर्य, पराक्रम, शासन-प्रशासन, त्याग, तप, बलिदान, विद्वता, शोध, अविष्कार आदि जीवन के विविध क्षेत्रों में मातृशक्ति ने कीर्तिमान स्थापित किये हैं। लज्जा, कोमलता, भीरुता आदि नारी के आभूषण हैं, किन्तु जब-जब आवश्यकता पड़ी है, उसने अपने इस बानक को उतार फैंका है और ज्वाला बनकर प्रकट हुई है।’’
नारी को ज्वाला में तब्दील होते ‘दामिनी-प्रकरण’ पर जंतर-मंतर पर पिछलों दिनों देखा गया। नारी-शक्ति के सम्मुख केन्द्र सरकार की सारी चूलें हिली भी थीं और नारी के पक्ष में नये कानून भी बने। इन्हीं कानूनों का सहारा लेकर आज नारी ‘बलात्कार-छेड़खानी’ जैसे मुद्दों पर मौन न रहकर मुखर है।
किन्तु काँटे का सवाल यह भी है कि इस जगी नारी-शक्ति के बीच ‘शराब के ठेके’, विज्ञापन और फैशन शो में बढ़ता नारी का अश्लील अंग प्रदर्शन पिक्चर हॉलों में दिखाये जाने वाले ब्लू फिल्मों के टुकड़े, या नारियों द्वारा संचालित गुप्त चकलाघर’ जब तक नारी-शक्ति के विरोध के सवाल बनकर सुर्खियों में नहीं आते, तब तक न अत्याचार, व्यभिचार को समाप्त किया जा सकता है और न बलात्कार से मुक्ति पायी जा सकती है।
नारी प्रगतिशील, विचारशील बने, लेकिन अंगों की नुमाइश को बन्द करे तो कामासुर का आतंक स्वतः समाप्त होने लगेगा।
———————————————————–
सम्पर्क-15/109, ईसानगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
476 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*साथ तुम्हारा मिला प्रिये तो, रामायण का पाठ कर लिया (हिंदी ग
*साथ तुम्हारा मिला प्रिये तो, रामायण का पाठ कर लिया (हिंदी ग
Ravi Prakash
" चाँद "
Dr. Kishan tandon kranti
परछाई (कविता)
परछाई (कविता)
Indu Singh
Could you confess me ?
Could you confess me ?
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
मिट्टी है अनमोल
मिट्टी है अनमोल
surenderpal vaidya
... बीते लम्हे
... बीते लम्हे
Naushaba Suriya
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
खोते जा रहे हैं ।
खोते जा रहे हैं ।
Dr.sima
कोई हमारे लिए जब तक ही खास होता है
कोई हमारे लिए जब तक ही खास होता है
रुचि शर्मा
मई दिवस
मई दिवस
Neeraj Agarwal
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सच्चा मीत
सच्चा मीत
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मैं विवेक शून्य हूँ
मैं विवेक शून्य हूँ
संजय कुमार संजू
किसी तरह की ग़ुलामी का ताल्लुक़ न जोड़ इस दुनिया से,
किसी तरह की ग़ुलामी का ताल्लुक़ न जोड़ इस दुनिया से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्यारी सी चिड़िया
प्यारी सी चिड़िया
Dr. Mulla Adam Ali
देशभक्ति
देशभक्ति
पंकज कुमार कर्ण
गंगा अवतरण
गंगा अवतरण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
विश्वास मत तोड़ना मेरा
विश्वास मत तोड़ना मेरा
Sonam Puneet Dubey
2797. *पूर्णिका*
2797. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नज़दीक आने के लिए दूर जाना ही होगा,
नज़दीक आने के लिए दूर जाना ही होगा,
Ajit Kumar "Karn"
मै भी सुना सकता हूँ
मै भी सुना सकता हूँ
Anil chobisa
जीवन को आसानी से जीना है तो
जीवन को आसानी से जीना है तो
Rekha khichi
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
गूगल
गूगल
*प्रणय प्रभात*
वो एक शाम
वो एक शाम
हिमांशु Kulshrestha
कुंडलिया छंद विधान ( कुंडलिया छंद में ही )
कुंडलिया छंद विधान ( कुंडलिया छंद में ही )
Subhash Singhai
ज़िन्दगानी में
ज़िन्दगानी में
Dr fauzia Naseem shad
"मैं और मेरी मौत"
Pushpraj Anant
Loading...