नाराज़ क्यों हो बोलो,
नाराज़ क्यों हो बोलो,
ओ प्रिय आँखें खोलों,
व्याकुलता तुम्हारी आज समझ पाए है,
महकते ये गुलाब तुम्हें पाने लाये है।
प्रेम का पड़ाव अब चढ़ने आये है,
तेरी मेरी प्रेम कहानी गढ़ने आये है,
मनभर कर देखो प्रिय इस तन को,
ये तन मन तुम्हें समर्पण करने आये हैं।
प्रेम पर बादल छाए है,
तुम निश्चिन्त रहो दर्द सहने आये हैं,
अब ये तुम्हारी पीड़ा मेरी हो गई,
एक गुलाब सप्रेम तुम्हीं को लाये हैं।।@निल