“नाम से ही है असली पहचान” #100 शब्दों की कहानी#
शुभा ने अवकाश के बाद संस्था पहूंचकर अपना कार्य शुरू किया ही था, अधिकारी ने आवाज दी गंगाधर… थोड़ी देर में शुभा को पता चला, उसकी नई नियुक्ति हुई है, नाम था “बालचंद आर्या” । फिर एक सज्जन संस्था में आकर उसे ढूंढ रहे, कौनसा कार्य संभालते हैं बताया, पर नाम से हो गई गड़बड़ क्योंकि सभी उसे गंगाधर ही कहने लगे ।
शुभा और बालचंद अधिकारी की कैबिन में थे,इतने में वे सज्जन आए , बालचंद को देखते ही…… अरे बेटा ।
अधिकारी : “नाम में क्या रखा है”,यह गलत-फहमी रही हमारी नाम से ही है असली पहचान ।