!!! नानी जी !!!
बचपन बीता जिनकी छांव में,
कंधे पर मुझे घुमाया गांव में,
किस्से कहानी सुने उनकी जुबानी,
ऐसी थी मेरी प्यारी – प्यारी नानी,
मेरे बचपन की हर सुबह शाम,
गुजरती थी बस लेकर उनका नाम,
मेरे मन में बसी उनकी अमिट छवि,
बनी रहेंगी जब तक देखूंगा मैं रवि,
बहुत किया मुझे उन्होंने लाड़ दुलार,
उनके स्नेह का ऋण मुझ पर अपार,
!!! नानी नहीं, थी मेरी यशोदा मां !!!
— जगदीश