नानी के घर
नानी के घर // दिनेश एल० “जैहिंद”
इहे कवनो तीन-चार साल के रहल होखेम |
हम अपन घर के आस-पास, द्वारे या अँगना में खेलते होखेम |
हमार बार-बार नजर हमरे दुनो हाथ के चाँदी के बेड़न पर चल जात रहे | हम खूबे चमकत बेड़वन के खाली देखत रहीं |
आसपास के औरतन के नजर भी ऊहे बेड़वन पर चल जात रहे | साँचे कि लइकन अऊरी दूसर मेहरारुसन हमके अऊर हमर बेड़वन के खाली देखे लागस | तबहीं हम कुछ बात अपन माई के मुँहे सुने रहीं — “ई बेड़ा न, एकर नानी दिहले बिया | जब बबुआ हमर दूई बरिस के रहे न, तब हम इके ले के नइहर गइल रहीं | ऊहे एकर नानी अपने नाती के उपहार में भेंट किहिंन रहे |”
“तब से इ चाँदी के बेड़ा न, हमर बबुआ के तन के शोभा बढ़ावत बा |”
मुझे अभी उतना होश नहीं हुआ था | मैं अभी अपने आसपास के वातावरण को समझने की कोशिश कर रहा था | जो भी देखता, उसे जानने की कोशिश करता और इस मायावी दुनिया का नजारा देख-देख संसार को समझने की कोशिश करता | पर उस समय इस उम्र के बच्चों में समझ ही कितनी होती है ? आप अंदाजा लगा सकते है |
बाद में सुने में आइल कि हमर नानी ई दुनिया में नइखी | वइसे हम अपन ननो के भी ना देखले रहीं |
हमर नाना हमार माई के दस-बारह बरस के उमरे में ही मर गईल रहस | हमर नाना के भाई लोगन जेके हमर माई लाला कहत रहिस विहाअ करईले रहस लोग |
जब हमरा कुछ बढिया से होश हो गईल तअ एक
बार फेरु हम अपने माई संगे नानी के घर गईल रहनीं | बाकी ऊहाँ तब पहिले वाला मजा अब ना रहे | ऊ मान-दान अब ना रहे कि जब नानी अपने गोदी में खेवले रहे, चुम्मा-चाटी कईले रहे, तेल- कुड़ कईले रहे अऊर हाथ में चाँदी के अईंठुआ
बेड़ा पहिनवले रहे |
आपन नानी अपने होले | अब पितआऊत नानी तअ ऊतना सब ना करिहन न ! फिर भी जेतना पार लागल उतना पितआऊत नानी लोगन अपने भतिजी के अऊर हमरो के कईलस लोग | फिर दूई दिन बाद हम माई-बेटा के विदा कर दिहलस लोग |
वो बड़े खुश नसीब होते हैं जिनके नाना-नानी होते हैं | हमारे तो जन्म के पहले से ही नाना नहीं थे और जब होश संभाला तो नानी भी नहीं रहीं |
बस ले-देके रह गया तो सिर्फ “नानी का घर”, जो आज भी है और कभी-कभार जाया भी करता हूँ |
पर अपने नाना-नानी और मामा-मामी की बात ही कुछ और होती है | मुझे औरों की तरह कोई बड़ा घराना भी नहीं मिला और ना ही मैं कोई मुँह में चाँदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ हूँ | राम भरोसे आज मैं जैसा भी हूँ वैसा ठीक ही हूँ और खुश हूँ |
==============
दिनेश एल० “जैहिंद”
15. 04. 2019