नात،،सारी दुनिया के गमों से मुज्तरिब दिल हो गया।
सारी दुनिया के गमों से मुज्तरिब दिल हो गया।
जिक्रे आका मैंने की सुकून हासिल हो गया।
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जो खुदा के हुक्म पर सुन्नत रसूले पाक पर ।
अमल पैरा हो गया जन्नत के काबिल हो गया।
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रिज्क देता है खुदा पत्थर में और दीवार में ।
शर्त है बंदा फकत जब रब का साइल हो गया।
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जो हुजूरे पाक के शामिल गुलामों में हुआ ।
जन्नती है जन्नती के सफ़में शामिल हो गया।
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खूबसूरत खूबसीरत आप हैं ही बेमिसाल ।
जिसने भी आका को देखा वह ही माइल हो गया ।
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फतेह मक्का जब मिला सब को मुआफी मिल गई ।
फजल ए मौला से ज़लील ओ ख्वार बातिल हो गया।
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वादी ए तायफ में आका पर मेरे पत्थर चले।
सोच कर आंखे हुई नम मुज्तरिब दिल हो गया।
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दुश्मनों ने भी मेरे आका सादिक कह दिया ।
देखकर किरदारे आका, दुश्मन कायल हो गया।
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कोई अहले इल्म जब असहाब कह दे बुरा।
सगीर वह मेरी नजर में लिख पढ़ के जाहिल हो गया।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच