नाज़ हुस्न पे न कर
नाज़ हुस्न पे न कर एक दिन ये ढल जाये
ये तो ऐसा मौसम है पल में जो बदल जाये
आ छुपा लूँ मैं तुझको अपनी इन निगाहों मैं
मरमरी बदन तेरा धूप में न जल जाये
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2
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अब छुड़ाना न दामन सनम
साथ तेरा —है जीवन सनम
बन गई ——-जिंदगी हो मेरी
तुम ही दिल की हो धड़कन सनम
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3
वतन का मेरे ——नौजवां जा रहा है
तिरंगे में लिपटा ——धुआँ जा रहा है
जरा पूछ लो हाल उस मां का “प्रीतम”
जिसके खुशी का ——समां जा रहा है
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