नाक पर दोहे
नाक पर दोहावली – (मुहावरा दोहावली)
राजनीति में नाक ही , अब बनती है ढाल |
नेता भी हर बात में , इसका रखते ख्याल ||1
हर अवसर पर नाक की ,इज्जत रहे सवाल |
हार जीत का खेल ही , देता हर्ष मलाल || 2
ऊँची होती नाक जब , होते भाव विभोर |
नीची दिखती है जहाँ , सब करते है शोर || 3
गलत काम पर नककटा , कहता सदा समाज |
ऊँची होती नाक है , जब अच्छा हो काज ||4
नाक कटाकर कब मिले ,दुनिया में सम्मान |
शूर्पनखा को देख लो , घूम रही मैदान || 5
हार जीत के खेल में , हाथ पैर का काम |
फिर भी मिलती हार जब, कटे नाक की चाम ||6
सीमा रेखा लाँघते , मन के सँग दो पैर |
दाग लगे पर नाक पर , सहती सबसे बैर ||7
कह भी देते लोग है , कौन लगाकर नाक |
आए फिर से आप हो , यहाँ जमाने धाक || 8
आँख करे अश्लीलता , हाथ पैर नापाक |
मन का धन यह तन करे , पर कटती है नाक ||9
बड़ी नाक जब आपकी , क्यों हैं छोटे काम |
कह देते सब लोग हैं , मुख पर ही अविराम || 10
आँसू दुनिया पोंछ दे , पर मत पोंछे नाक |
लोग यहाँ बस देखते , कहाँ नाक पर चाक ||11
नाक बचाना अब कठिन , रखकर इसका नूर |
लोग काटने घूमते , करें घात भरपूर ||12
मख्खी बैठे नाक पर , खुद जाता है ध्यान |
लोग देखकर हँस पड़े , करते है अपमान ||13
नाक नरम भी जानकर , नथनी देते डाल |
अंग बता शृंगार का , करते उसे हलाल || 14
चश्मा चढ़कर नाक पर , करे सुरक्षित नैन |
गड्डे पड़ते भार से , रहती है बैचैन || 15
बेटे की भी बाप से , करते नाक मिलान |
जिसकी मिलती है जरा ,असल कहें पहचान ||16
नाक प्रियंका देखकर , आए थे कुछ व्यान |
लगती दादी इंदिरा , खूब चले थे गान || 17
नाक बिचारी क्या करे ,शीत ताप के काल |
रोने लगती छिद्र से , हो जाती है लाल ||18
दिखते सबको नाक के ,कुछ- कुछ अलग स्वरूप |
चपटी चौड़ी लम्बवत , कुछ की लगती कूप ||19
नाक साफ रखते सभी , सेवक है रूमाल |
कुछ तो अपने हाथ से , देते रहते ताल | |20
अब “सुभाष” जितना लिखा , मैने नाक पुराण |
सत्य लिखा या है गलत , देखें आप प्रमाण ||21
©®सुभाष सिंघई जतारा (टीकमगढ़) म०प्र०