नही समझते दर्द
उनके कष्टों से हुआ, मुख मेरा भी जर्द ।
पर मेरे दिल का कहाँ, वे समझे हैं दर्द ।।
क्रोध लोभ मद मोह का, बने न मानव दास ।
इनसे बढ़ते हैं सदा,…. इस जीवन में त्रास ।।
रमेश शर्मा.
उनके कष्टों से हुआ, मुख मेरा भी जर्द ।
पर मेरे दिल का कहाँ, वे समझे हैं दर्द ।।
क्रोध लोभ मद मोह का, बने न मानव दास ।
इनसे बढ़ते हैं सदा,…. इस जीवन में त्रास ।।
रमेश शर्मा.