नही कोई शिकायत आपसे
******* नहीं कोई शिकायत आपसे ********
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तुम बेवफा बेशक नहीं कोई शिकायत आपसे,
तुम हो बड़े ज़ालिम नहीं की है बग़ावत आपसे।
हम चाहते जी भर करें बातें हजारों बोल कर,
चंचल बहुत है मन बता कब की शरारत आपसे।
रोये बहुत दिन-रात हम आँसू बहे बन धार सम,
सहते रहे हर गम नही पर की हिमाकत आपसे।
सुन लो जरा प्यारे सनम तेरा हमीं पर है असर,
छलिया बलम मेरे यहीं सीखी नज़ाकत आपसे।
हर सांस मनसीरत सदा तेरे रहा है पास में,
हम आपके ही साथ हरदम पर नजारत आपसे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली