नहीं हूँ मैं किसी भी नाराज़
नहीं हूँ मैं किसी भी नाराज़
मैं तो दुनिया के तौर तरीकों से हैरान हूँ
माली जो धूप में फूल उगाता रहा जीवनभर
मैंने कभी उसके हाथों में गुलदस्ता नही देखा
उन फूलों को मैंने फूल मसलने वाले हाथों
पर बंधते देखा है
इंसानियत की हार बनकर उनके गले में
सजते हुए देखा है…