नहीं सुनता दिल की बातें
अब नहीं सुनता मैं दिल की बातें ,
बंद हुई अब हमरी मुलाकातें ।
ब्याह हुआ ससुराल गई वो ,
हमको रोता छोड़ गई वो ।
अब तो रह गई यादें उसकी ,
बिन तेरे नींद लगे न झपकी ।
सोचा क्यों याद करु मैं उसको ,
वो तो छोड़ गई अब हमको ।
शायद उसकी भी कोई मजबूरी होगी ,
दर्द-ए-दिल में छुपाये होगी ।
डां. अखिलेश बघेल
दतिया ( म.प्र. )