नहीं सपेरों वाला है यह
मंच को नमन!
जिस पथ पर हैं फूल बिछाए, निश्चित बलिदानी पथ होगा।
ध्वजा लिए जो विश्व विजय की, निश्चित भारत का रथ होगा।।
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डंका आज बजाते जग में।
लक्ष्य सभी रखते हैं डग में।
नहीं सपेरों वाला है यह,कथ्य सकल अब मिथ्या होगा।
ध्वजा लिए जो विश्व विजय की, निश्चित भारत का रथ होगा।।
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चांद सितारों पर मंज़िल है।
भारत का हर नर काबिल है।
अंतरिक्ष में भरें उड़ानें अगला पग मंगल पर होगा।
ध्वजा लिए जो विश्व विजय की, निश्चित भारत का रथ होगा।।
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विश्व-गुरू था विश्व-गुरू है।
फिर से वो ही कदम शुरू है।
वेदों का परचम दुनिया में फिर से विश्व फलक पर होगा।
ध्वजा लिए जो विश्व विजय की, निश्चित भारत का रथ होगा।
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