नहीं रहे “कहो न प्यार है” के गीतकार व हरदिल अज़ीज़ शा’इर इब्राहिम अश्क
पिछले हफ़्ते ही 16 जनवरी 2022 को 70 वर्ष की आयु में गीतकार व शा’इर इब्राहिम अश्क जी की मृत्यु कोविड-19 की जटिलताओं से हुई। इब्राहिम ख़ान गोरी हिंदी और उर्दू के जाने माने कवि, पत्रकार, अभिनेता और फिल्म गीतकार थे। उन्होंने अपना सारा कलम काम ‘अश्क’ उपनाम से रचा लिखा था।
उनका साहित्यिक व फ़िल्मी योगदान हमेशा याद रखा जायेगा। उनकी प्रमुख पुस्तकें:—
(1.) इल्हाम—1991; (2.) आगाही—1996 (कविता संग्रह); (3.) कर्बला—1998 (ऐतिहासिक शोकगीत); (4.) अंदाज़-ए-बयान और – 2001 (मिर्जा असद-उल्लाह खान `गालिब’ की आलोचनात्मक प्रशंसा और व्याख्या); (5.) तन्किदी शूर – 2004 (बेदिल, हाफिज, ग़ालिब, इकबाल, फ़िराक़ गोरखपुरी और विभिन्न साहित्यिक विषयों पर काम).
उनको समय समय पर जो पुरस्कार प्राप्त हुए:—
1. यूपी उर्दू अकादमी पुरस्कार – 1991
2. ऑल इंडिया बेंज़र अवार्ड – 1992
3. महाराष्ट्र हिंदी पत्रकार संघ पुरस्कार – 2000 (सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए)
4. टाटा ग्रुप ऑफ़ मैगज़ीन एवी मैक्स अवार्ड – 2000 (वर्ष 2000 के सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए)
4. उज्जैन का साहित्य सेवा सम्मान – 2001 (श्री शिव मंगल सिंह सुमन, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के पूर्व कुलपति द्वारा प्रस्तुत)
5. ग़ालिब पुरस्कार – 2003 (पत्रिका `इंतेसाब’ सिरोंग, एमपी)
6. कालिदास सम्मान – 2003 (सांसद सद्भावना मंच)
7. कबीर सम्मान – 2003 (गुंजन कला सदन, जबलपुर, एमपी)
8. मजरूह पुरस्कार – 2004 (मजरूह अकादमी, मुंबई)
9. हिंदी-उर्दू साहित्य अकादमी पुरस्कार – 2004 (लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
10. बेस्ट लिरिक्स के लिए स्टार डस्ट अवार्ड – 2004 (वर्ल्ड फेम आर्टिस्ट श्री एम.एफ.हुसैन द्वारा प्रस्तुत)
इब्राहिम अश्क जी के चन्द चुनिंदा अशआर व दोहे:—
—————————————-
कोई भरोसा नहीं अब्र के बरसने का
बढ़ेगी प्यास की शिद्दत न आसमाँ देखो
***
ज़िंदगी अपनी मुसलसल चाहतों का इक सफ़र
इस सफ़र में बार-हा मिल कर बिछड़ जाता है वो
***
नहीं है तुम में सलीक़ा जो घर बनाने का
तो ‘अश्क’ जाओ परिंदों के आशियाँ देखो
***
नाम को भी न किसी आँख से आँसू निकला
शम्अ महफ़िल में जलाती रही परवाने को
***
मुझे न देखो मिरे जिस्म का धुआँ देखो
जला है कैसे ये आबाद सा मकाँ देखो
•••
पत्थर में भी आग है, छेड़ो तो जल जाय
जो इस आग में तप गया, वो हीरा कहलाय
***
प्यासी धरती देख के, बादल उड़ उड़ जाय
ये दुनिया की रीत है, तरसे को तरसाय
***
मन के अंदर पी बसे, पी के अंदर प्रीत
ख़ुद में इतना डूब जा, मिल जाएगा मीत
•••