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24 Apr 2024 · 1 min read

नहीं पाए

किसी भी राह ठहरकर कभी चल नहीं पाए,
अपने सपनों को हकीकत में बदल नहीं पाए।

मैदान-ए-जंग में औरों की जरूरत क्या?
जब खुद से जंग अपनी जीत नहीं पाए।

कुछ सवालों का बोझ रहेगा शख्सियत पर अपनी,
जवाब अब तक नहीं इसलिए बेहतर कर नहीं पाए।

अगर – मगर में कटेगी लगता है ताउम्र अपनी,
जिन्दगी बस तेरे साथ ही कदम हम मिला नहीं पाए।

Language: Hindi
2 Likes · 74 Views
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