नहीं उनकी बलि लो तुम
जो है निर्दोष इंसान, नहीं उनकी बलि लो तुम।
इन मासूम जीवों की, नहीं ऐसे बलि लो तुम।।
जो है निर्दोष इंसान—————–।।
बेजुबां इन जीवों ने, बिगाड़ा क्या है तुम्हारा।
इन्होंने किया है निःस्वार्थ, भला हमेशा तुम्हारा।।
जो है उपकारी ऐसे, नहीं उनकी बलि लो तुम।
जो है निर्दोष इंसान—————–।।
अपने मतलब के लिए, नहीं मारो किसी को।
बिना वजह ऐसे तुम,नहीं सजा दो किसी को।।
होकर अंधे- निर्दयी, नहीं ऐसे बलि लो तुम।
जो है निर्दोष इंसान—————–।।
जाति- धर्मों के लिए, करावो नहीं तुम बलवें।
अमन- मानवता के लिए, करो दूर तुम शिकवें।।
देशभक्ति के नाम पर, नहीं ऐसे बलि लो तुम।
जो है निर्दोष इंसान—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)