नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद
नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद।
नहीं करूंगा तुमसे प्यार, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे———————।।
मैं आया जब कभी यार, वहाँ तेरी दर पे।
नहीं दिया मुझको सम्मान, तुमने अपने घर पे।।
मैं नहीं कम स्वाभिमानी, तुमसे सच में यार।
नहीं झुकाउंगा तुमको सिर, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे——————–।।
बहुत करता था तेरी तारीफ, मैं अपने यारों से।
मुझको मतलब नहीं था, फूलों और बहारों से।।
एक सिर्फ तुमको ही, माना था मैंने अपना यार।
नहीं करूंगा दुहा तेरे लिए, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे——————-।।
मैं गुलाम नहीं हूँ , तुम्हारे हुस्न और सूरत का।
मैं तो जी आज़ाद हूँ , नहीं है गम आफत का।।
देता हूँ मैं तो ठोकर, आज तुम्हारी दौलत को।
नहीं मनाऊँगा अब तुमको, मैं आज के बाद।।
नहीं आऊँगा तेरी दर पे——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)