Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2021 · 1 min read

नसीहत देने में लगे हैं

१.

नसीहत देने में लगे हैं
एक दूसरे को वो

सियासत उनका मजहब ही नहीं
वो ये जानते नहीं

२.

पशेमान कोई नहीं होता
आज के दौर में

एक दूसरे को गिराने में
मशगूल हैं लोग

Language: Hindi
1 Like · 222 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
भाव में शब्द में हम पिरो लें तुम्हें
भाव में शब्द में हम पिरो लें तुम्हें
Shweta Soni
गलतियां हमारी ही हुआ करती थी जनाब
गलतियां हमारी ही हुआ करती थी जनाब
रुचि शर्मा
"सत्य"
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
ख़्याल आते ही क़लम ले लो , लिखो तुम ज़िंदगी ,
ख़्याल आते ही क़लम ले लो , लिखो तुम ज़िंदगी ,
Neelofar Khan
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
जैसे आप अपने मोबाइल फ़ोन में अनुपयोगी सामग्रियों को समय-समय
Anand Kumar
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
शिव प्रताप लोधी
बाल कविता: मुन्नी की मटकी
बाल कविता: मुन्नी की मटकी
Rajesh Kumar Arjun
आज हम सब करें शक्ति की साधना।
आज हम सब करें शक्ति की साधना।
surenderpal vaidya
मंजिलें
मंजिलें
Mukesh Kumar Sonkar
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
gurudeenverma198
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
Mr.Aksharjeet
"पलते ढेरों अहसास"
Dr. Kishan tandon kranti
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
"आज की रात "
Pushpraj Anant
गुमनाम
गुमनाम
Santosh Shrivastava
*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
*अपना-अपना दृष्टिकोण ही, न्यायाधीश सुनाएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
2832. *पूर्णिका*
2832. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
" न्यारा पूनिया परिवार "
Dr Meenu Poonia
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
खेलों का महत्व
खेलों का महत्व
विजय कुमार अग्रवाल
कौन है वो .....
कौन है वो .....
sushil sarna
तेरी सुंदरता पर कोई कविता लिखते हैं।
तेरी सुंदरता पर कोई कविता लिखते हैं।
Taj Mohammad
क्या कहें
क्या कहें
Dr fauzia Naseem shad
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
स्वतंत्रता का अनजाना स्वाद
Mamta Singh Devaa
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल,
यूं ही नहीं मिल जाती मंजिल,
Sunil Maheshwari
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
यह कौन सी तहजीब है, है कौन सी अदा
VINOD CHAUHAN
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
Loading...