* नसीहतें प्यारभरी *
नसीहतें प्यारभरी दी है हमें तुम्हें रास ना आई
ना मानोगे , पछताओगे जब रूखसत यार होंगे
प्यारभरी इल्तजा ठुकराना नहीं
तोड़कर
यूं शीशा-ए-दिल मुस्कराना नहीं
तन्हा रहकर कितना सह राहों तुम
गम-ए-दौर में
सहारे की जरूरत होती है ।।
बत्ती का मिले चांदना मौम लौ क्यों जाय
जेहि मिले
परम गुरु तेहि पाखण्ड क्यों सराय ।
शेर सुनाऐं या हकीकत हैं करें
प्यार करें या तुमसे इल्तिजा करें
उलफत का दौर पुराना है उलफत पुरानी नही
होती
यार पुराना हो सकता है यारी पुरानी नहीं होती ।
मधुप बैरागी