नशे की लत
है जान लेवा
सिगरेट मदिरा
न छुओ इसे
सुखाती तन
ये तंबाकू सबका
छोड़ों इसको।
नशे को छोड़ो
बरबाद न करो
और खुद को ।
देखो अपने
व्यथित हैं कितने
देख दुर्दशा।
खोया सुकून
जीवन अंधेरे में
छाया है दुख।
संभल जाओ
जिंदगी से न खेलो
नशे को छोड़ो।
करना है तो
पूरे करो सपने
सभी अपने
न करों नशा
जीवन को संभालो
खुशियाँ बांटो।
अनमोल है
ज़िंदगी न गंवाना
नशा भुलाना
स्वरचित एवम मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश