नशा मुक्त समाज
नशा मुक्त समाज
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस
न नशा करूँगा/ करुंगी न नशा करनें दूंगा/ दूंगी
नशा मुक्त भारत अभियान के तहत मेरी रचना
(पत्नी पति को नशा न करनें की विनती भी करती है और डांट भी लगाती है, उसी छोटे से प्रसंग का ठेठ देहाती बोली में वर्णन)
सुना हो बजरिया जल्दी जावा,
मुंहे तम्बाकू,जिन चुभलावा,
खैनीं ठोकत रगड़त दुन्नव हाथू
लगतथैया जैईसे गब्बर डाकू
लरिकन घरवा में तोहरै नकल दोहरईहैं,
मींज मींज कर तम्बाकू, उन्हुन सबहैं खईहैंं,
सुना है इ तम्बाकू ससुरी,
कैसर मुंहमां लैईआवथी,
मुंह भर जात है घाव से
बोली निकर न पावतथी,
चुन्नु मुनू के बाबू जउन तू
ई सुरती का अगर चबईबा
लठियन सुवागत होई तब
तोहार तू बहुतै तब पछतैईबा|
समझावत हई अबहिन पियार से , माना हमरी बतियां,
नाहीं तो अस्पताल घूम घूम के
कटहिं सबहिंन रतियां|
डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी लखनऊ