नशा मुक्ति गीत
तर्ज:- मिलो ना तुम तो हम घबराए मिलो तो आंख चुराएं हमें क्या हो गया है…….
नशा न करना मेरे भाई,
नशे में आग लगाई,
संभल जाओ मेरे भाई।
संभल जाओ मेरे भाई।
नशा पाप का सगा हैं भाई,
सच देता नहीं दिखाई,
संभल जाओ मेरे भाई।
संभल जाओ मेरे भाई।
कुछ ना मिलेगा तुमको,
पीकर शराब गुटका खाने से,
घर वाले भी तुमको,
रोक देंगे से में घर आने से,
कहीं सड़क पर सोना होगा तुमको बिना चटाई संभल जाओ मेरे भाई,
संभल जाओ मेरे भाई,नशा न करना…………
हाथ में बोतल लेकर,
चलते हो नागिन जैसी चाल हैं,
कपड़े फटे हैं इनके,
बिखरे हुए से देखो बाल है ,
कोई ना अब पहचाने तुमको हालत कैसे बनाई संभल जाओ मेरे भाई,
संभल जाओ मेरे भाई,नशा न करना…………
काम धाम कुछ कर लो,
कैसे चलेगा घर महंगाई में,
बच्चे क्या सोएंगे भूखे,
अब किट-किट और लड़ाई में
बच्चे हैं बुखार में तपते,
तुम लाते नहीं दवाई।
संभल जाओ मेरे भाई।
संभल जाओ मेरे भाई ।नशा न करना………..
स्वरचित गीत
तरुण सिंह पवार