नशा तेरी
नशा तेरी
सूरत का ही होता
तो कब का उतर गया होता
मुझे नशा
तेरी शाइस्तगी का है
चढ़ा है कुछ इस तरह
उतरता ही नहीं…!!
हिमांशु Kulshrestha
नशा तेरी
सूरत का ही होता
तो कब का उतर गया होता
मुझे नशा
तेरी शाइस्तगी का है
चढ़ा है कुछ इस तरह
उतरता ही नहीं…!!
हिमांशु Kulshrestha