नशा………१
नशा………१
नशा दौलत का जब सर चढकर बोलता है
हर एक शै: को कागजी टुकडो से तोलता है
कर देता है कत्ल जहन से सब जज्बातो का
इंसानियत को भी अपने पैरो तले रौदंता है ।।
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।
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डी. के. निवातियॉ________@
नशा………१
नशा दौलत का जब सर चढकर बोलता है
हर एक शै: को कागजी टुकडो से तोलता है
कर देता है कत्ल जहन से सब जज्बातो का
इंसानियत को भी अपने पैरो तले रौदंता है ।।
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डी. के. निवातियॉ________@