नव सम्बतसर
रवि आया नव भोर का ,
बिखेर धबल प्रकाश ।
पुलकित मन सुधा धरा ,
श्रंगारित तन आज ।
पथ भृमण और सोर का ,
धरा पूर्ण करे आज ।
नियम सृष्टि के पाथ का ,
चली सतत निभाय ।
अभिनन्दन नव सोर का ,
माँ शक्ति के वंदन गए ।
जयकारा आदि शक्ति का ,
जग जननी लाज बचाए ।
आया नव सूरज नव भोर का
बीता एक वर्ष और सोर का ।
. विवेक दुबे”निश्चल”@ ..
. नव वर्ष संवत २०७५
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की शुभकामनाऐं
…. विवेक दुबे”निश्चल”@…