नव्य उत्कर्ष
स्वर्ण रश्मियों से सजा ,आया है नव वर्ष ।
अंतर्मन को दीप्त कर ,भरे आँख में हर्ष ।।
पुष्पित उपवन से भरा ,गंधिल है नव वर्ष ।
अधरों पर मुस्कान धर , करता दूर अमर्ष ।।
नवल पंथ पर ले चला ,बना रथी नव वर्ष ।
विजय ध्वजा है हाथ में ,साँसों में संघर्ष।।
खुशियों की माला पहन ,हर्षित है नव वर्ष ।
राग तरंगित उर करे , भरे नव्य उत्कर्ष ।।
उतरा मंगलमय मुदित ,उत्साहित नव वर्ष ।
मन अमर्ष से रिक्त कर,भरता हृदय प्रकर्ष ।।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी,©®