नवीन युग….!
आज समय सेल्फी युग का है।
यहां खाना किसी और को और सेल्फी किसी और के साथ होती है।
यहां डूबते के साथ सेल्फी ली जाती है।
मरते को बचाने से पहले सेल्फी होती है।
आज समय सेल्फी युग का है।
मिठाई मुंह में बाद सेल्फी में पहले जाती है।
दुख आंखों में नहीं सेल्फी में देखी जाती है।
नींद रातों में नहीं सेल्फी में होती है।
आज समय सेल्फी युग का है।
ज्ञान दिमाग से पहले सेल्फी में जाती है।
( यहां ” सेल्फी ” शब्द का अभिप्राय फोटो खींचने के साथ – साथ उन तमाम सामाजिक समूहों से है जिनके द्वारा आज के युवा अपना भविष्य संवारने के बजाय अपना आने वाला कल खराब करते है)
(सोशल साइट का सदुपयोग भी किया जा सकता है।)