Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Aug 2023 · 5 min read

नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी

हमारे क्रिकेट कप्तान :
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी
हमारे देश के प्रमुख क्रिकेट कप्तानों मे नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्हें पूरा देश सम्मान के साथ नवाब पटौदी के नाम से जानता है। नवाब इफ्तिखार अली खान हमारे देश के एकमात्र ऐसे टेस्ट क्रिकेटर हैं, जिन्होंने भारत और इंग्लैंड दोनों ही देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला है। इन दोनों देशों के अलावा उन्होंने पटियाला के महाराजा की टीम इलेवन, ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, दक्षिण पंजाब, पश्चिम भारत और वूस्टरशायर (इंग्लैंड) के लिए भी कई मैच खेला है। सन् 1946 ई. में उन्होंने इंग्लैंड टूर पर भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की थी।
इफ्तिखार अली खान का जन्म 16 मार्च सन् 1910 ई. में ब्रिटिश भारत में दिल्ली के पटौदी हाउस में हुआ था। उनके पिताजी का नाम मुहम्मद इब्राहिम अली खान सिद्धिकी पटौदी था। वे पटौदी रियासत के नवाब थे। इफ्तिखार अली खान की माताजी का नाम शाहरबानो बेगम था। महज सात वर्ष की आयु में ही इफ्तिखार अली खान, पटौदी जो कि अब हरियाणा राज्य में स्थित है, उस समय एक रियासत हुआ करती थी, के नवाब बन गए, क्योंकि सन् 1917 ई. में उनके पिताजी मुहम्मद इब्राहिम अली खान का देहांत हो गया था। हालांकि इफ्तिखार अली को औपचारिक रूप से सन् 1931 ई. में विधिवत नवाब बनाया गया। इससे पूर्व इफ्तिखार अली ने कुछ समय तक लाहौर के चीफ्स कॉलेज में अध्ययन किया था, परन्तु बाद में वे पढ़ने के लिए बल्लीओल कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड चले गए।
सन् 1939 ई. में इफ्तिखार अली खान ने साजिदा सुल्तान से शादी की, जो भोपाल के अंतिम नवाब की दूसरी सुपुत्री थीं। उनकी तीन संतानें हुईं जिनमें एक पुत्र मंसूर अली खान पटौदी और तीन पुत्रियाँ थीं। कालान्तर में उनके सुपुत्र मंसूर अली खान पटौदी ने भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की थी। उन्हें आजकल ‘क्रिकेट के नवाब’ के नाम से भी जाना जाता है।
शुरुआती समय में इफ्तिखार अली खान पटौदी को भारत में स्कूल के दिनों में ही क्रिकेट की अच्छी कोचिंग मिली। बाद में उनकी अच्छी ट्रेनिंग इंग्लैंड में संपन्न हुई, जहाँ उन्होंने 1932-33 की ‘बॉडीलाइन’ सीरीज के लिए इंग्लैंड की टीम में जगह बनाई और अपने पहले ही टेस्ट मैच में उन्होंने सिडनी के एशेज टेस्ट में शतक जड़ दिया। यह मैच इफ्तिखार अली के लिए यादगार रहा। उन्होंने डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ा था। इस मैच में उन्होंने मैराथन पारी खेलते हुए 380 गेंदों का सामना कर 102 रन बनाए, जिसमें 6 चौके शामिल थे। दूसरी पारी में उन्हें बैटिंग करने का मौका ही नहीं मिला। इस टेस्ट मैच को इंग्लैंड ने 10 विकेट से जीता था। इसके बाद उन्हें मेलबर्न में खेले गए सीरीज के दूसरे मैच में भी खेलने का मौका मिला, जहाँ वे फ्लॉप रहे। इस दूसरे मुकाबले में उन्होंने पहली पारी में मात्र 15 और दूसरी पारी में भी सिर्फ 5 रन ही बना पाए। इस खराब प्रदर्शन के चलते उन्हें सीरीज से बाहर कर दिया गया। दरअसल उन्हें सीरीज से बाहर करने का एक कारण यह भी था कि उन्होंने अपनी टीम के कप्तान डगलस जॉर्डीन की बॉडीलाइन रणनीति पर आपत्ति जताई थी, तो डगलस ने उनसे यह कहा कि “अच्छा तो यह महाराज ईमानदारी से ऐतराज़ करेंगे।” और इसी के साथ सन् 1934 ई. तक पटौदी सिर्फ इंग्लैंड के काउंटी मैच ही खेल पाए।
वूस्टरशर काउंटी के मैचों में बहुत ही बेहतरीन प्रदर्शन दिखाने के बाद सन् 1934 ई. में आखिरकार इंग्लैंड बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट में इफ्तिखार अली खान पटौदी ने अपनी जगह बनाई, जो कि इंग्लैंड की तरफ से उनकी आखिरी मैच भी थी। सन् 1934 ई. में ऑस्ट्रेलियायी क्रिकेट टीम एशेज सीरीज खेलने इंग्लैंड गई थी। 8 जून सन् 1934 ई. को नॉटिंघम में खेले गए मैच में इफ्तिखार अली प्लेइंग इंग्लिश टीम की इलेवन का हिस्सा थे। एक साल बाद टीम में वापसी करते हुये वे इस मैच में कुछ खास करिश्मा नहीं कर पाए। मैच की पहली पारी में मात्र 12 और दूसरी पारी में भी महज 10 रन ही बना सके। यह इंग्लैंड की तरफ से खेला जाने वाला उनका आखिरी मैच साबित हुआ। इस प्रकार कुल मिलाकर उन्होंने इंग्लैंड के लिए 3 टेस्ट मैच ही खेले थे।
इसके कुछ ही दिनों के बाद इफ्तिखार अली भारत आ गए। यहाँ उन्हें सन् 1936 ई. में भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी करने का मौका मिला, लेकिन वे इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज से पहले ही हट गए। अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था। वहीं, 10 साल बाद साल सन् 1946 ई. में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ ही भारतीय टीम की कप्तानी की। तब उनकी उम्र 36 साल की थी। इस प्रकार वे कर्नल सी. के. नायडू, महाराज ऑफ विजयनगरम के बाद भारत के तीसरे टेस्ट कप्तान बने। करीब एक साल टेस्ट टीम के कप्तान रहे इफ्तिखार अली ने कुल 3 अंतररराष्ट्रीय मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम को दो टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा, जबकि एक मैच अनिर्णीत समाप्त हुआ था। इफ्तिखार अली खान पटौदी ने भारत के लिए 3 अंतररराष्ट्रीय टेस्ट मैच ही खेले, जिनमें वे टीम के कप्तान भी थे। लेकिन अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था। सन् 1946 ई. में जब इफ्तिखार अली खान को भारत के इंग्लैंड टूर का कप्तान चुना गया था, जो द्वीतीय विश्वयुद्ध ख़त्म होने के बाद हो रहा था और इंग्लैंड सम्पूर्ण मैच खेलने को तैयार भी था। भारत ने इसमें 29 प्रथम श्रेणी के मैच खेले, जिसमें उसने 11 मैच जीते, 4 मैच हारे और 14 मैच अनिर्णीत समाप्त हुए।
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी का इंग्लैंड में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। उन्होंने इस दौरे में लगभग 1000 रन बनाए, लेकिन टेस्ट मैच में केवल 11 की औसत ही रख पाए, जिससे भारत श्रृंखला हार गया। इसलिए उनकी कप्तानी की खूब आलोचना भी हुई। इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
इफ्तिखार अली राइट हैंडेड बैट्समैन थे। उन्होंने 6 अंतररराष्ट्रीय टेस्ट मैच खेले और 19.90 की सामान्य औसत के साथ कुल 199 रन बनाए। अंतररराष्ट्रीय मैचों में उन्होंने एक ही शतक लगाया था, जो कि उनका सर्वोच्च स्कोर 102 भी था। उन्होंने कुल 127 प्रथम श्रेणी के मैचों में 48.61 की औसत के साथ कुल 8750 रन बनाए। इसमें उनके द्वारा बनाए गए 29 शतक और 34 अर्द्धशतक शामिल हैं। प्रथम श्रेणी के मैचों में उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 238 था। अंतररराष्ट्रीय मैचों में उन्होंने कभी गेंदबाजी नहीं की, परन्तु प्रथम श्रेणी के मैचों में उन्होंने गेंदबाजी करते हुए 35.26 की औसत से कुल 15 विकेट हासिल की थी। उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 111 रन पर 6 विकेट थी।
5 जनवरी सन् 1952 को अपने पुत्र टाइगर पटौदी के जन्मदिवस पर पोलो खेलते समय मात्र 42 वर्ष की अल्प आयु में ही दिल का दौरा पड़ने से नवाब इफ्तिखार अली खान का निधन हो गया।
कालान्तर में सन् 2007 में मेरिलबोन क्रिकेट क्लब ने भारत और इंग्लैंड के बीच हुए पहले क्रिकेट मैच की 75 वीं सालगिरह के उपरांत इफ्तिखार अली खान पटौदी के नाम पर एक टेस्ट ट्रॉफी की घोषणा की, जिसका नाम ‘पटौदी ट्रॉफी’ रखा गया। यह विशेष ट्रॉफी भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज जीतने वाले को मिलती है। अब तक 5 बार हुए इस ट्रॉफी में भारत सिर्फ एक ही बार जीत दर्ज करा पाया है, जबकि 4 बार इंग्लैंड जीत चुका है। एक बार श्रृंखला अनिर्णीत समाप्त हुआ।

– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़, 9827914888,
pradeep.tbc.raipur@gmail.com

262 Views

You may also like these posts

- सेलिब्रेटी की पीड़ा सेलिब्रेटी ही जाने -
- सेलिब्रेटी की पीड़ा सेलिब्रेटी ही जाने -
bharat gehlot
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
Sunil Maheshwari
नेह का घी प्यार का आटा
नेह का घी प्यार का आटा
Seema gupta,Alwar
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
तेरी
तेरी
Naushaba Suriya
रामायण सार 👏
रामायण सार 👏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
धर्म युद्ध जब चलना हो तो
धर्म युद्ध जब चलना हो तो
ललकार भारद्वाज
*इतरा रहा दीवार पर, टाँगा कलैंडर जो गया (गीत)*
*इतरा रहा दीवार पर, टाँगा कलैंडर जो गया (गीत)*
Ravi Prakash
अपनी नज़र में सही रहना है
अपनी नज़र में सही रहना है
Sonam Puneet Dubey
खिंचता है मन क्यों
खिंचता है मन क्यों
Shalini Mishra Tiwari
sp123 जहां कहीं भी
sp123 जहां कहीं भी
Manoj Shrivastava
किसी की याद में आंसू बहाना भूल जाते हैं।
किसी की याद में आंसू बहाना भूल जाते हैं।
Phool gufran
पहाड़ी दर्द
पहाड़ी दर्द
सोबन सिंह रावत
माँ
माँ
डॉ. दीपक बवेजा
रात
रात
पूर्वार्थ
धर्म युद्ध!
धर्म युद्ध!
Acharya Rama Nand Mandal
दिल हर रोज़
दिल हर रोज़
हिमांशु Kulshrestha
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
Lokesh Sharma
कुंडलिया - होली
कुंडलिया - होली
sushil sarna
कभी यदि मिलना हुआ फिर से
कभी यदि मिलना हुआ फिर से
Dr Manju Saini
..
..
*प्रणय*
बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
ज़ैद बलियावी
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
"आइडिया"
Dr. Kishan tandon kranti
सच्ची मोहब्बत नहीं अब जमीं पर
सच्ची मोहब्बत नहीं अब जमीं पर
gurudeenverma198
गीत- वही रहना मुनासिब है...
गीत- वही रहना मुनासिब है...
आर.एस. 'प्रीतम'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
3271.*पूर्णिका*
3271.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
*राज सारे दरमियाँ आज खोलूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आज़ादी का जश्न
आज़ादी का जश्न
अरशद रसूल बदायूंनी
Loading...