अर्पण
मुक्तक
अर्पण
1222,1222,1222,1222
करूं क्या नाथ अर्पण मै, सभी तेरा नजारा है ।
नहीं कुछ पास है मेरे, दिया तेरा सहारा है।
रहे बस भाव मनहर से ,सुगंधित प्रेम तेरा हो।
रहे बस पास मेरे तुम ,मिले मुझको किनारा है।
जगत के भाव झूठे हैं, जगत में प्रेम झूठा है।
नहीं कोई किसी का है, यहां रिश्ता अनूठा है।
नहीं तेरे बिना मेरा, बसो अब राम हृदय में।
सभी मतलब निभाते हैं, यहां हर रूप झूठा है।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
मुक्तक छंद
कलियां
1222,1222,1222,1222
खिली कलियां बगीचे में ,पवन पुरवा चली आयी।
छुआ घुंघट कली का जब, बहारें खूब इतरायीं ।।
घटाएं खूब लहराए ,फुहारे खूब बरसाए।
हुआ उजियार बागों में , छटा मधुमास की छायी !!
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश।