नवरात्र कन्या भोजन
देवकी नवरात्र में कन्या भोजन कर रही थी । उसने अपने पति राकेश , जो सड़क निर्माण विभाग में इंजीनियर हैं, को आवाज दे कर बुलाया और कहा :
” सुनो जी नवरात्र में कन्या भोजन कराना है । सारी तैयारी कर ली कन्याओं को भेंट के लिए ये सोने के टाप्स खरीदे हैं, अब सब अपने ही तो हैं और कहीं न कहीं फायदा ही तो देते हैं । मैंने कन्याओं की लिस्ट बनाई है, आप जरा सुन लें :
” एक देवेश जो संचालक है उनकी बेटी , दूसरी कमिश्नर साहब की पोती , तीसरी कलेक्टर साहब की नातिन ……
तब तक घर में काम करने वाली रमा भी आ गयी थी और उसके साथ उसकी दो साल की बेटी भी थी ।
देवकी ने आठ नाम तो बता दिऐ नौवीं कन्या कम पड़ रही थी । काफी देर तक दिमाग पर जोर देने के बाद भी याद नहीं आ रहा था ।
तभी राकेश ने कहा : ” नौवीं कन्या ये रमा की बिटिया तो है ।”
देवकी ने उलाहना देते हुए कहा : ” इन बड़े लोगों की कन्याओं के बीच यह कहाँ बैठेगी और गिफ्ट भी तो मंहगा है , देखो हाँ याद आया ये जो अपने पड़ोस में नगर निगम वाले शर्मा जी है ना उनकी मौसी की लड़की की पोती है उसे बुला लेते है , साल में तीन चार बार तो गटर की सफाई के लिए अपन बुला ही लेते हैं ।
रमा अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर किचन में चली गयी काम करने के लिए और सोचने लगी :
” माता की पूजा पाठ में भी लोग मतलब साधते हैं , मौहल्ले में उसने भी तो सभी कन्याओं को खीर पूरी खिलाई थी ।”
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव