नवरात्रि
कुण्डलिया
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करवट बदली वक्त ने, सभी रहे हैं झूम।
शारदीय नवरात्र की, खूब मची है धूम।
खूब मची है धूम, भाव भक्ति हर मन में।
लिए शक्ति नव रूप, मातु आई जीवन में।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, हुए स्थापित पूजा घट।
भक्ति भाव ले साथ, समय ने बदली करवट।
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हर मन्दिर में सज गये, माता के दरबार।
नवरात्रि की शुभ वेला, हर्षित सब नर नार।
हर्षित सब नर नार, रूप मैया का मोहक।
सबको भाता खूब, सभी होते नतमस्तक।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, सजे मन्दिर जैसे घर।
मां के रूप अनेक, कष्ट सबके लेती हर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य