नवरात्रि (हाइकु विधान)
नवरात्रि में
मांँ द्वार पधारी,
सिंह सवारी।
हर्षित मन,
जगराता बैठाऊ,
शीश झुकाऊं।
विंध्यवासिनी,
आशीर्वाद मिलते,
मिटता कष्ट।
मांँ जगदंबा
साकार हो जीवन
शरण आते!
शक्ति स्वरूपा,
शरण में मैं तेरे,
करो स्वीकार।
शत्रु हनता
जगत कल्याणी माँ
नमन करूं!
‘शुची’ ले भाव,
कर जोड़ है खड़ी,
कष्ट हरो मांँ।
डॉ माधवी मिश्रा “शुचि”
सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश