नवरात्रि पर माता को भोग
आदि शक्ति माँ जय जगदम्बे ।
दुर्गा नाम जपें माँ अम्बे।।
नवरात्री आवे दो बारा।
शक्ति साधना हित अति प्यारा।।
नो दिवसी चलते उपवासा।
धरा लोक करती माँ वासा।।
प्रथम दिवस माँ शैल कुमारी ।
घी मय मोदक शोभा न्यारी ।।
ब्रह्मचारिणी दूजी माता ।
चीनी भोग लगे दिन राता।।
तृतीय दिवस माँ चंद्र घंटा।
दूध भोग से हरती कष्टा ।।
चतुर्थ तिथि कूष्माण्डा देवी।
मालपुआ अरु भोग जलेवी।।
पंचम दिवस स्कन्द की माता ।
भेंट रूप केले जन लाता।
षष्ठम कात्यायन माँ रूपा।
शहद पान प्रिय भोग स्वरूपा ।।
कालरात्रि सप्तम तिथि पूजा।
गुड का भोग ग्रहण नहि दूजा ।।
अष्टम तिथि नाम महागौरा।
भोग नारियल चढ़ते चौरा।।
नवमी तिथि मातु सिद्धिदात्री ।
तिल प्रसाद चढ़े कृपापात्री।।
माँ स्वरूप कन्या नित पूजन ।
वेद ध्वनि उच्चारें गुरूजन।।
सकल कामना पूरी करतीं ।
भक्तों के दुख माता हरतीं।।
राजेश कौरव सुमित्र