Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2024 · 1 min read

*नवरात्रि के इन पावन पर्व में …*

नवरात्रि के इन पावन पर्व में …
जब मां दुर्गा अपने नौ रूपों में धरती पर पधारती है
तब पूरा ब्रह्मांड उनकी दया ममता व शक्ति से झूम उठता है और जब जाती हैं तो अपने बच्चों के दुःख तकलीफ को साथ लेकर चली जाती हैं और एक नई ऊर्जा शक्ति आस्था दृढ़ विश्वास दिलाती हैं कि वे हमारी हर परस्थिति में हमारे साथ आसपास मौजूद रहेंगी….
हे मां दुर्गा अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाएं रखना हम सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखियेगा….
जय माता दी🙏🏼🌹🚩

1 Like · 16 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2955.*पूर्णिका*
2955.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
......तु कोन है मेरे लिए....
......तु कोन है मेरे लिए....
Naushaba Suriya
हर ख़ुशी तुम पे वार जायेंगे।
हर ख़ुशी तुम पे वार जायेंगे।
Dr fauzia Naseem shad
*बूढ़ा हुआ जो बाप तो, लहजा बदल गया (हिंदी गजल)*
*बूढ़ा हुआ जो बाप तो, लहजा बदल गया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
* शक्ति आराधना *
* शक्ति आराधना *
surenderpal vaidya
मुद्दतों बाद मिलते पैर लड़खड़ाए थे,
मुद्दतों बाद मिलते पैर लड़खड़ाए थे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
अफ़सोस इतना गहरा नहीं
हिमांशु Kulshrestha
सुन्दर सलोनी
सुन्दर सलोनी
जय लगन कुमार हैप्पी
ज़मीर
ज़मीर
Shyam Sundar Subramanian
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
Suryakant Dwivedi
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
हम में सिर्फ यही कमी है,
हम में सिर्फ यही कमी है,
अरशद रसूल बदायूंनी
भोर पुरानी हो गई
भोर पुरानी हो गई
आर एस आघात
टाईम पास .....लघुकथा
टाईम पास .....लघुकथा
sushil sarna
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
*गम को यूं हलक में  पिया कर*
*गम को यूं हलक में पिया कर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
मनोज कर्ण
नवतपा की लव स्टोरी (व्यंग्य)
नवतपा की लव स्टोरी (व्यंग्य)
Santosh kumar Miri
भक्तिकाल
भक्तिकाल
Sanjay ' शून्य'
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
Suneel Pushkarna
शब्दों की मिठास से करें परहेज
शब्दों की मिठास से करें परहेज
Chitra Bisht
" मैं और मिथिलाक्षर /तिरहुता लिपि " (संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
अधिकार और पशुवत विचार
अधिकार और पशुवत विचार
ओंकार मिश्र
तितली
तितली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मुक्तक – शादी या बर्बादी
मुक्तक – शादी या बर्बादी
Sonam Puneet Dubey
वो मुझे अपना पहला प्रेम बताती है।
वो मुझे अपना पहला प्रेम बताती है।
पूर्वार्थ
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
पंकज परिंदा
"उड़ान"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...