नवगीत
कल सपने में आई अम्मा
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कल सपने में आई अम्मा,
पूछ रही थी हाल।
जबसे दुनिया गई छोड़कर,
बदले घर के ढंग।
दीवारों को भी भाया अब,
बँटवारे का रंग।
सांझी छत की धूप बँट गयी,
बैठक पड़ी निढाल।
आँगन की तुलसी भी सूखी,
गेंदा हुआ उदास।
रिश्तों को मधुमेह हो गयी,
फीका हर उल्लास।
बाबू जी का टूटा चश्मा,
करता रहा मलाल।
घुटनों की पीड़ा से ज़्यादा,
दिल की गहरी चोट।
बीमारी का खर्च कह रहा,
बूढ़े में ही खोट।
बासी रोटी से बतियाती,
बची खुची सी दाल।
कल सपने में आई अम्मा,
पूछ रही थी हाल।
मीनाक्षी ठाकुर,मिलन विहार
मुरादाबाद।