नर-नारी
नारी नर जब मिल चलें, जीवन वाहन रूप I
सब राह मिल पार करें, कठिन हो या कुरूप II
कठिन हो या कुरूप, अब राह से क्या डरना I
हौसलों का जीवन, इक दिन सभी को मरना II
कहें विजय कविराय, जिंदगी होती प्यारी I
जग में नर के साथ, जब मिलकर चलें नारी II
नारी नर जब मिल चलें, जीवन वाहन रूप I
सब राह मिल पार करें, कठिन हो या कुरूप II
कठिन हो या कुरूप, अब राह से क्या डरना I
हौसलों का जीवन, इक दिन सभी को मरना II
कहें विजय कविराय, जिंदगी होती प्यारी I
जग में नर के साथ, जब मिलकर चलें नारी II