नये युग के चरण चिन्ह
लघुकथा
शीर्षक – नये युग के चरण चिन्ह
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कलेक्टर साहब की गाड़ी जैसे ही मलिन बस्ती की ओर आगे बढ़ी तो वे बस्ती का वातावरण देख कर आश्चर्यचकित रह गए l यह बस्ती नाम के अनुरूप बिल्कुल भी नहीं लग रही थीं.. चारों ओर सौंदर्य अपने में समेटे हुए थी l
कलेक्टर साहब को बड़ा अचंभा हो रहा था कि आखिर यह सब परिवर्तन कैसे हो गया… .अभी छह महीने पहले ही तो बस्ती के लोग जल निकासी ओर साफ सफाई के लिए अर्जी देने आए थे, लेकिन अब तो यहा की काया ही पलट हो गई l
-‘अरे काका सुनिए… यहाँ आइए’ – कलेक्टर ने कहा
-‘जी साहिब’
-‘क्या यह मलिन बस्ती हे’
-‘जी हाँ, साहिब’
-‘पहले तो यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ था लेकिन आज की स्थिति कुछ ओर ही हैं,यह सब कैसे हुआ’
-‘साहिब, यह सब रामू की बजह से हुआ है.. बस्ती का पहला लड़का है जो शहर से पढ़ लिख कर बस्ती आया… उससे हमारी यह हालत देखी न गई…. हम सब अर्जी दे दे कर थक चुके थे, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.. तब रामू ने हम सब को स्वच्छता का सबक सिखाया… पहले तो एक दो को छोड़कर किसी ने भी साथ न दिया लेकिन बाद में सभी उसके साथ लग गये… ओर देखते देखते बस्ती में नए रंग भरते गये…
-‘रामू कहाँ मिलेगा’ – कलेक्टर साहब ने पूँछा
-‘साहिब, आगे चौराहे पर उसका झोपड़ी है, उसी में बस्ती के बच्चों को पढ़ा रहा होगा’
कलेक्टर साहब पैदल ही रामू की झोपड़ी की तरफ चल दिए.. चंद कदम की दूरी पर रामू अपनी पाठशाला जमाए हुए था……
-‘तुमने बहुत अच्छा ओर सराहनीय काम किया है राजू…’- कलेक्टर साहब ने राजू की पीठ थपथपा कर कहा
-‘साहब, हमे बहुत बुरा लगता था जब लोग हमारी बस्ती को हेय दृष्टि से देखते थे.. हम लोगो का भी मान सम्मान नही था… बस मैंने बस्ती के लोगों के साथ मिलकर एक नये युग की ओर चलने की ठानी… “- रामू ने कहा
-‘मै तुम्हारे इस अनुकरणीय व सराहनीय कार्य के लिए, तुम्हे साधुवाद देता हूँ,,, ., तुम्हारी बस्ती के लिए… सरकार से आर्थिक सहयोग ओर एक विद्यालय की बात रखूंगा’- कलेक्टर साहब ने कहा l
रामू कलेक्टर साहब के इस आश्वासन को नये युग के चरण चिन्ह मान कर बस्ती को स्वच्छ, स्वस्थ व साक्षर होने के रूप में देख रहा था ll
रचना – राघव दुबे
इटावा (उ0प्र0)
8439401034