Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2020 · 1 min read

‘ नये जीवन की शुरुआत ‘

मधु के अर्से से चल रहे प्रेम संबंध को विवाह की मुहर लग गई तो उसे लगा की वो गंगा नहा आई । शान – शौकत और विधि – विधान से विवाह संपन्न हुआ , पूजा – पाठ मुँह दिखाई के बाद आज की रात सुहागरात थी । प्रतीक्षा की घड़ी खतम होने को थी प्रेमी पति के रूप में उसके सामने था…थोड़ा इधर – उधर की बात करने के बाद प्रेमी से पति बने पति ने कहा ‘ अब तो हम जीवन भर साथ हैं आज नये जीवन की शुरुआत सिर्फ अच्छी बातों से करते हैं । पूरी रात मधु तो कुछ बोला ही नही पाई वो सिर्फ श्रोता थी पति वक्ता और पति ने अपनी भाभी ( जीठानी ) के बखानों में रात बिता दी…नये जीवन की शुरुआत हो चुकी थी ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा ,16/12/2020 )

Language: Hindi
2 Likes · 270 Views
Books from Mamta Singh Devaa
View all

You may also like these posts

दुनियादारी सीख गये
दुनियादारी सीख गये
Surinder blackpen
A Dream In The Oceanfront
A Dream In The Oceanfront
Natasha Stephen
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
- दुनिया बहुत खूबसूरत है -
- दुनिया बहुत खूबसूरत है -
bharat gehlot
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*कुकर्मी पुजारी*
*कुकर्मी पुजारी*
Dushyant Kumar
thanhthienphu
thanhthienphu
Thanh Thiên Phú
Towards the end
Towards the end
Buddha Prakash
ओ माँ मेरी लाज रखो
ओ माँ मेरी लाज रखो
Basant Bhagawan Roy
राम-अयोध्या-सरयू का जल, भारत की पहचान हैं (गीत)
राम-अयोध्या-सरयू का जल, भारत की पहचान हैं (गीत)
Ravi Prakash
जीवन जितना होता है
जीवन जितना होता है
Dr fauzia Naseem shad
और हो जाती
और हो जाती
Arvind trivedi
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पी वियोग में .....
पी वियोग में .....
sushil sarna
*खुद को  खुदा  समझते लोग हैँ*
*खुद को खुदा समझते लोग हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दो दोहे
दो दोहे
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बंदर
बंदर
अरशद रसूल बदायूंनी
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
“सन्धि विच्छेद”
“सन्धि विच्छेद”
Neeraj kumar Soni
गर्मी की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
3180.*पूर्णिका*
3180.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"गानों में गालियों का प्रचलन है ll
पूर्वार्थ
Divali tyohar
Divali tyohar
Mukesh Kumar Rishi Verma
मानवीय मूल्य
मानवीय मूल्य
इंजी. संजय श्रीवास्तव
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
Phool gufran
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
Ravikesh Jha
परछाईं (कविता)
परछाईं (कविता)
Indu Singh
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रिश्ता नहीं है तो जीने का मक़सद नहीं है।
रिश्ता नहीं है तो जीने का मक़सद नहीं है।
Ajit Kumar "Karn"
Loading...