नयी कोपलें लगी झाँकने, पा धरती का प्यार ।
दोहा
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नयी कोपलें लगी झाँकने,पा धरती का प्यार ।
रचने को तैयार दिखें ये, खुद अपना संसार ।।
पाकर पावन साथ किरण का,पाया नव आकार ।
सुंदर हरी-भरी धरती है ,जीवन का आधार ।।
हिम्मत से हर कठिन राह पर , चलने को तैयार ।
सहने को आतुर लगतीं हैं ,कुदरत का हर वार।।
अपने आँचल की छाया से, धरा करे सिंगार ।।
महक रही कोमल पंखुड़ियाँ,करती हैं अभिसार ।
प्रकृति प्रेम का अजब नज़ारा, आज हुआ साकार ।
खूब मिला है नव जीवन को ,मौसम का उपहार ।।
ज्योटी श्रीवास्तव jyoti Arun Shrivastava
अहसास ज्योटी 💞✍️