नयी उमंगें
गीतिका
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नयी उमंगें मन में भर लें, कदम बढ़ाएं हम।
बिना रुके अपने साथी का, साथ निभाएं हम।
रिमझिम वर्षा लेकर देखो, आया है सावन।
झूला झूलें और प्रीति के, भाव जगाएं हम।
बादल वर्षा आंधी बिजली, के प्यारे मोहक।
मौसम में भरपूर हर तरह, मौज मनाएं हम।
कभी कभी बन जाता नभ पर, सुन्दर इंद्रधनुष।
सतरंगी मन के भावों में, घुल मिल जाएं हम।
एक सहज आकर्षण से जब, मिल जाती नजरें।
मन मिलने के बाद रुकें मत, हाथ मिलाएं हम।
उत्श्रृंखल हैं भाव हमारे, भीगे मौसम में।
छोड़ें हर संकोच स्वयं की, चाह दिखाएं हम।
ऋतु परिवर्तन होता रहता, है यह नियम अटल।
धरती का संरक्षण कर लें, कदम उठाएं हम।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य,२२/०८/२०२४