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29 Dec 2024 · 1 min read

नया साल

इक साल ज़िन्दगी का ये फिर से गुज़र गया
खिलकर के फूल शाख से अपनी बिखर गया
जो ख़्वाब रह गए थे अधूरे ही अब तलक
नव वर्ष के ये हाथों उन्हें सौंप कर गया

डॉ अर्चना गुप्ता
29.12.2024

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